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लेखनी प्रतियोगिता -14-Jul-2022 जय श्री राधे

                सुषमा की शादी को पूरे पांच साल हो चुके थे। अभी तक उसकी गोद नही भरी थी। मुहल्ले की औरते पनघट पर इकट्ठी होकर आपस मे तरह तरह की बाते कर रही थी।


      उनमें से एक औरत बोली," बिशाखा अभय की शादी को पूरे पाँच बर्ष होगये है लेकिन वहाँ अभी तक गोद भरने का कोई भी लक्षण दिखाई नहीं दे रहा है। कही वह बांझ तो नही है। यदि ऐसा है तो उसके दर्शन होना भी अशुभ है।"

                  " तू सही कहरही है  शीला उसकी सास से ही पूछलो क्या बात है उसका दादी बनने का इरादा नही है क्या ?" बिशाखा बोली।

      यह सब बाते सुषमा की सास ने  सुनली। उसको  भी दुःख हुआ कि  अभी तक  वह दादी नहीं बन सकी है।

     सुषमा की सास घर आई और अपनी बहू से बोली " देख सुषमा  पास के गाँव से कुछ औरतै वृन्दावन जारही है उनके साथ। तुझे भी जाना है। राधाष्ठमी भी आरही है। राधाजी तेरी गोद अवश्य भरेगी। वह बहुत दयालु है।"

      सुषमा ने जाने के लिए हाँ कहदी। अब सुषमा ने वृन्दावन जाने की और राधाजू से मिलने की  पूरी तैयारी कर ली। पैदल यात्रा थी।  सुषमा  औरतौ की टोली में चलने लगी।

                 सुषमा के पैर में मोच आगयी थी जिससे ़वह धीरे चल पारही थी। औरतौ की टोली बहुत आगे निकल गयी।  सुषमा राधे राधे जपती हुई आराम से चल रही थी।तभी एक बच्ची उसके पास आई और बोली ," माँ मुझे बहुत भूख लगी है। कुछ खाने को देदो।"

       सुषमा की सास ने उसके साथ लड्डू बनाके रखे थे। उसने एक लड्डू उस बच्ची को देते हुए कहा," ले बेटी  खाले।  " 

     उस बच्ची ने लड्डू बहुत प्यार से खाया । और वह बोली," माँ मै तुम्है मन्दिर के पास छोड़दू मै एक छोटा रास्ता जानती हूँ । इतना कहकर वह उनको एक छोटे रास्ते से लेकर  गयी और सुषमा को उसके गाँव की औरतौ के पास छोड़कर गायब होगयी।

     सुषमा को वह दूसरे दिन फिर मिलगयी। वह सुषमा से बोली   ",माँ  तेरे लड्डू बहुत स्वादिष्ट है ।  " सुषमा ने उसको एक लड्डू और दिया। वह लड्डू खाकर बोली," मुझे मेले में से एक फ्राक दिलवादे । "

      सुषमा ने सोचा बच्ची बहुत मन से मांग रही है  और वह उसको एक दुकान पर लेकर गयी  और उसे एक लाल रंग की फ्राक दिल वादी।

    जब सुषमा सुबह मन्दिर गयी तो वह  राधाजी की मूरत  को वही फ्राक पहनी हुई देखकर  आश्चर्य में पड़ गयी। तब वह पुजारी जी से पूछने लगी " आज राधाजी ने जो ड्रैस पहनी है वह कहाँ से आई। "

     पुजारी जी बोले," बेटा मुझे रात सपने मे आकर राधाजी ने स्वयं बोला था कि मुझे वहाँ रखी हुई लाल फ्राक पहनादो वह मेरी माँने दी है। " 

     पुजारी आगे बोले," जब सुबह मैने मन्दिर खोला  तो वहाँ यह फ्राक रखी हुई थी। "
 
     अब सुषमा की आँखौ से आसुऔ की धारा  बहने लगी और वह सोचने लगी," राधाजी मेरे पास स्वयं आई थी और मै उनको पहचान ही नहीं सकी  मै कितनी अभागी हूँ। "

        सुषमा वहीं मन्दिर के बाहर हर रोज बैठकर राधा रानी की प्रतीक्षा करती थी। एक दिन उसको स्वप्न आया और वह बोली," माँ तुम अपने घर बापिस जाओ मै तुम्हारे घर आऊँगी। "

   सुषमा अपने गाँव बापिस आगयी और कुछ समय बाद उसने एक सुन्दर कन्या को जन्म दिया उसका नाम राधा रखा। इह तरह सुषमा की गोद भर गयी अब वह बहुत खुश रहने लगी थी।

           जय श्री राधे ।

दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी "

14/07/2022

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13 Comments

Kusam Sharma

19-Jul-2022 04:30 PM

Nice

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Punam verma

15-Jul-2022 10:59 AM

Very nice

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Abhinav ji

15-Jul-2022 09:41 AM

Nice👍

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